दिल्ली के PWD मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने बारापुला फेज-3 फ्लाईओवर के काम में हुई देरी के लिए पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि इस पुल का काम साल 2017 में ही पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने जानबूझकर इस प्रोजेक्ट को अटकाए रखा. इस प्रकार आठ सालों तक यह प्रोजेक्ट अधर में लटका रहा. इसकी वजह से ना केवल देरी हुई, बल्कि प्रोजेक्ट की लागत भी कई गुना बढ़ गई है. कहा कि अब नई सरकार बनने के बाद काम में तेजी आई है और उम्मीद है कि दिसंबर तक प्रोजेक्ट पूराकर इसे चालू कर दिया जाएगा.

बीते दो महीने में दूसरी बार काम की प्रगति देखने पहुंचे मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने बताया कि सरकार के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से दिल्ली में ना केवल जाम की समस्या से राहत मिलने वाली है, बल्कि कई लाख लोग बड़े आराम से मयूर विहार फेज एक से सीधा एम्स तक का सफर कर सकेगे. उन्होंने कहा कि अब इस फ्लाईओवर को चालू करने का लक्ष्य दिसंबर 2025 तय किया गया है और इस लक्ष्य के सापेक्ष काम की टाइमलाइन तय कर दी गई है.

मयूर विहार फेज-1 से कनेक्ट होगा एम्स

बरापुला फेज़-3 परियोजना पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज़-1 को दक्षिणी दिल्ली स्थित एम्स से जोड़ने के लिए विकसित की जा रही है. यह फ्लाईओवर सराय काले खां के पास मौजूदा बरापुला कॉरिडोर से जुड़ेगा, जिससे पूर्व-पश्चिम दिल्ली के बीच सफर तेज़ और सुगम होगा. इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली में यातायात की भीड़-भाड़ को कम करना और आवागमन को बेहतर बनाना है, जिससे लाखों नागरिकों को हर दिन लाभ मिलेगा. PWD अधिकारियों के अनुसार, परियोजना का लगभग 89% काम पूरा हो चुका है. हालांकि, बाकी बचा काम पेड़ों के स्थानांतरण के लिए वन विभाग की स्वीकृति के अभाव में रुका हुआ है. करीब 250 पेड़ों को हटाने और स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जिसके लिए स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है.

पिछली सरकार की उदासीनता से लटका काम

मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि परियोजना में देरी का मुख्य कारण पिछली सरकार की उदासीनता रही है. पूर्ववर्ती सरकार ने समय पर ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया और न ही पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की. नतीजतन, यह महत्वपूर्ण परियोजना वर्षों तक अटकी रही और लागत भी कई गुना बढ़ी. इस मुद्दे पर हमारे द्वारा की गई कार्यवाही से हम जल्द ही शेष कार्य को पूरा करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार, खासकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में, अब पेड़ों के स्थानांतरण के लिए आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए वन विभाग से सक्रिय रूप से समन्वय कर रही है. हम उम्मीद करते हैं कि वन विभाग से आवश्यक स्वीकृतियां शीघ्र ही मिल जाएंगी, जिसके बाद परियोजना के अंतिम चरण का कार्य जल्द शुरू होगा, मंत्री ने कहा.

दूर हुई अड़चन तो तेज हुआ काम

यह परियोजना 2014 में स्वीकृत हुई थी और 2015 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था. इसे 2017 में पूरा किया जाना था, लेकिन पिछली सरकार की लापरवाही, विभागीय समन्वय की कमी और प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण यह लगातार टलती रही. परियोजना के लिए समय-समय पर स्वीकृतियों में देरी और अन्य तकनीकी अड़चनें रुकावट का कारण बनीं. PWD अधिकारियों ने बताया कि अब नियमित निरीक्षण हो रहा है और तकनीकी अड़चनें दूर कर दी गई हैं. सभी विभागों के साथ समन्वय बेहतर हुआ है, जिससे काम की गति बढ़ी है. वर्तमान सरकार ने इस परियोजना के लिए आवश्यक प्रशासनिक समर्थन और सुविधाएं प्रदान की हैं, ताकि काम समय पर पूरा हो सके.