राजस्व और माइनिंग से मिलते है सिर्फ आश्वासन कारवाही नहीं,,

ग्रामीण सड़के उखाड़ रही यूफोरिया मिनरल्स एंड

माइंस कंपनी।

जहां एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार सड़कों को गांव गांव से जोड़ रही है और इसी सरकार से रेत का ठेका लेकर यूफोरिया मिनिरल्स एंड माइन्स कंपनी अपनी मनमानी के चलते ओवरलोड डंपरों का परिवहन करवा रही है जिससे क्षेत्र की ग्रामीण सड़के पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो रही है लेकिन प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है जबकि यह सड़के आम जनता के टैक्स के दिए हुए पैसों से बनाई जाती है और इन रेत माफियाओं द्वारा अपने फायदे के लिए इन सड़कों को पूरी तरह उखाड़ जा रहा है कोई देखने वाला नहीं है क्योंकि कहीं ना कहीं सब की जैव भारी कर दी जाती है

एनजीटी की उदासीनता के कारण नहीं रुक रहा अवैध खनन।

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में भेरूंदा क्षेत्र से लगे नर्मदा तट वाले ग्राम में रेत माफिया द्वारा पूरी क्षमता के साथ मां नर्मदा को चीर कर रेत निकली जा रही है जिसकी शिकायत समाचार के माध्यम से प्रशासन को दी गई लेकिन कहीं पर भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिली।जबकि ग्राम सिलकंठ, मंडी, सातदेव, छिदगांव अंबा, डीमावर, बाबरी, जाजना जैसे दर्जनों गांवों में रेत माफिया द्वारा लंबी-लंबी लीड बनाकर रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है और इन सभी ग्रामों में सड़कों पर, खलिहानों में, नर्मदा तटों पर बड़े-बड़े रेत के अवैध भंडार देखने को मिलते हैं जिनके वीडियो फोटो कई बार राजस्व को दिखाया गया और इसकी सूचना सीहोर मीनिंग को भी दी गई लेकिन कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली, और एनजीटी की उदासीनता के चलते कोई कार्यवाही नही होती। इतने विकराल रूप से चल रहे अवैध उत्खनन शासन की नजरो से कैसे बच सकता है। जिसे देखकर कही न प्रशासन संदेह के घेरे में आता है।

अंडरलोड के नाम पर शासन की आंखों में झोंकी जा रही धूल।

भेरूंदा क्षेत्र में रेत कंपनी द्वारा रेत का परिवहन करने वालों को रॉयल्टी प्रदान की जा रही है जिसका सरकारी मापदंड कुछ और ही है लेकिन जितनी रेत भर सको अपने ट्रक में उतनी भरो बस उतने माल की रॉयल्टी ले लो तो आपकी गाड़ी ओवरलोड नहीं मानी जाएगी जबकि सरकारी मापदंड अनुसार 10 पहिया गाड़ी को 16 घन मीटर और 12 टायर गाड़ी को 20 घन मीटर और 14 टायर गाड़ी को 22 घन मीटर की रॉयल्टी दी जानी चाहिए लेकिन यहां कुछ और ही खेल चल रहा है कोई मापदंड नहीं गाड़ी में जितनी रेत भरी है उस हिसाब से रॉयल्टी बढाकर ले लो जिससे कंपनी को सीधा फायदा और मध्य प्रदेश सरकार को करोड़ों का चुना और इन ओवरलोड वाहनों से टूटी सड़के ही रह जाती है आम नागरिक के पास। जिसका नुकसान करोड़ों में है और फिर इन्हें बनाने के लिए सरकार को करोड़ फिर खर्च करने होंगे। 

मध्य प्रदेश शासन रेत कंपनी के आगे बना मुख दर्शन ।

यूफोरिया माइन्स एंड मिनरल्स कंपनी जो सीहोर जिले में रेत का काम कर रही है जिसने कई खदानों को ठेका लेकर रखा है क्या शासन ने कंपनी को रेत का ठेका मां नर्मदा के अस्तित्व खत्म करने के लिए दिया है और क्षेत्र की सारी ग्रामीण सड़कों को तोड़ने के लिए दिया है। अगर नहीं तो फिर रेत कंपनी पर किसी प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं करता शासन। नर्मदा तट पर लगे दर्जनों गांव जिन्हें कहीं पीडब्ल्यूडी तो कहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़कों द्वारा जोड़ा गया ताकि आमजन और ग्रामीणों को आवागमन में और कृषि कार्य में किसी प्रकार की समस्या ना हो लेकिन रेत कंपनी के चलते इन सड़कों को बुरी तरह से ओवरलोड परिवहन कर उखाड़ी रही है जिससे शासन को करोड़ों का चूना लग रहा है। यह सारे रेत कंपनी के कारनामे आला अधिकारियों से छुपे हुए नहीं है फिर भी संभवत या तो किसी दबाव में या सांठ गांठ के चलते कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही।

अवैध नाके लगाकर मार्गो पर फैला रहे रेत, जन जीवन प्रभावित।

कंपनी द्वारा भेरूंदा क्षेत्र में कई जगह पर रेत कंपनी द्वारा अपने नाके लगा रखे हैं जहां पर घंटों लाइन से बड़े-बड़े डंपरों को खड़ा किया जाता है उनमें से रेत गिराई जाती है जिससे आम आदमी को आवागमन में समस्याएं होती है और कई घटनाएं पहले हो चुकी है जिन में जान और माल दोनों का नुकसान हो चुका है इन नाकों पर ओवरलोड के नाम पर गाड़ी मालिकों की गाड़ियों से रेत निकाली जाती है और फिर उसे ट्रालियों से बेच दिया जाता है यानी के डबल मुनाफा। भैरूंदा से नीलकंठ मार्ग जहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां नर्मदा में डुबकी लगाने जाते हैं लेकिन रास्ते में ग्राम चीच पर कंपनी द्वारा नाका लगा कर रखा है जहां पर सैकड़ो की संख्या में डंपर रोड ब्लॉक कर खड़े रहते हैं और पूरी सड़कों पर रेत और पानी भरा रहता है जिससे कई बार एक्सीडेंट हो चुके हैं कंपनी की इन अवैध नीतियों के खिलाफ प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है

अवैध उत्खनन करो, परिवहन करो, रॉयल्टी कंपनी देगी।

भेरूंदा क्षेत्र से लगे कई नर्मदा घाट जहां पर कंपनी की कोई भी वैध खदान नहीं है उन घाटों पर भी रेत माफियाओं द्वारा मशीनों द्वारा पनडुब्बी मशीनों द्वारा ट्रैक्टर ट्रालियों द्वारा कश्तियों द्वारा तरह-तरह से मां नर्मदा का सीना चीर का रेत निकाली जा रही है और उनका परिवहन हो रहा है रोज सैकड़ो की संख्या में ट्रकों द्वारा अवैध परिवहन हो रहा है। और उन्हें परिवहन करने में कोई समस्या नहीं हो रही क्योंकि इस अवैध रेत उत्खनन और परिवहन को जब कंपनी द्वारा रॉयल्टी प्राप्त हो जाती है तो यह अवैध रेत वैध में बदल जाती है और कंपनी को इसका सीधा मुनाफा होता है जबकि नर्मदा के अस्तित्व की कोई बात नहीं कर रहा उससे क्या फर्क पड़ता है।

1300 रुपए घन मीटर मिल रही रॉयल्टी, 12 टायर गाड़ी को 28 से 30 घन मीटर तक दे रहे रॉयल्टी।

सीहोर जिले में काम कर रही यूफोरिया फाइल्स एंड मिनरल्स रेत कंपनी ग्राहकों को₹1300 घन मीटर की दर से रॉयल्टी दे रही है जिसके चलते गाड़ी मालिकों को मुनाफा नहीं मिल पाता इसलिए गाड़ी मालिकों द्वारा 28, 30 घन मीटर तक की रॉयल्टी लेकर गाड़ियों में ओवरलोड रेत भरकर परिवहन करना पड़ता है जिससे क्षेत्र की ग्रामीण सड़के उखड़ रही है और कंपनी को ज्यादा घन मीटर की रॉयल्टी देने पर अधिक मुनाफा हो रहा है। क्या रेत की रॉयल्टी की दर पर प्रशासन का कोई हस्तक्षेफ नहीं होता कम्पनी जिस रेट में रॉयल्टी बेचे।

 

अवैध उत्खनन में सीहोर माइनिंग की सांठ गांठ का संदेह।

अवैध रेत उत्खनन को लेकर जब न्यूज़ चैनल द्वारा सीहोर माइनिंग को जागने की कोशिश की गई तो जिला सीहोर मीनिंग का वाहन पिछले हफ्ते भर से लगभग सभी दिन नर्मदा घाटों से लगे गांवों में दिखाई दिया है लेकिन सिर्फ फॉरमेल्टी करते हुए। क्या मीनिंग की टीम को अवैध रेत के भंडार दिखाई नहीं देते रेत निकलती कश्तियां और नर्मदा नदी में पनडुब्बियों का जाल दिखाई नहीं देता। नर्मदा में लगभग सभी गांव में घाटों पर नर्मदा को काट कर माफिया द्वारा लीड बनाई गई क्या है लीड माइनिंग की टीम को दिखाई नहीं देती और अगर दिखाई देती है तो कोई कार्यवाही क्यों नहींl सीहोर मीनिंग टीम के इस रवैया से सांठ गांठ का संदेश पैदा होता है जबकि मेरे द्वारा सीहोर माइनिंग अधिकारी धर्मेंद्र चौहान को लाइव वीडियो बनाकर भेजा गया अवैध उत्खनन को दिखाते हुए लेकिन माइनिंग टीम द्वारा इस अवैध उत्खनन के खिलाफ कोई ठोस कारवाही नहीं की गई ना तो रेत कंपनी के खिलाफ और न ही रेत माफियाओं के खिलाफ।

न्यूज़ सोर्स : राजेश पंवार संवाददाता