लाड़कुई स्वास्थ्य केंद्र पर फिर विवाद: नर्सिंग ऑफिसर की अभद्रता से OPD बंद, मरीज परेशान

सीहोर (म.प्र.) | 6 जून 2025
लाड़कुई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक बार फिर विवादों में है। इस बार केंद्र की नर्सिंग ऑफिसर श्रीमती रीना पर मरीजों और चिकित्सकों से अभद्रता का आरोप लगा है। 4 जून 2025 को जारी एक आधिकारिक पत्र में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि नर्सिंग ऑफिसर के असहयोगी रवैये के कारण घायल मरीजों को इंजेक्शन और टांके लगाने जैसी आवश्यक सेवाएं नहीं दी जा सकीं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्थिति इतनी बिगड़ी कि अस्पताल का नियमित OPD संचालन 5 जून को प्रभावित रहा। मेडिकल ऑफिसर द्वारा सीएमएचओ को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि रीना द्वारा बार-बार अभद्रता किए जाने पर अब चिकित्सकों ने भी काम नहीं करने का निर्णय लिया।
पूर्व में भी मिल चुकी है शिकायत, पर नहीं हुई कार्यवाही
बताया गया है कि इस नर्सिंग ऑफिसर की शिकायतें पहले भी मौखिक रूप में कई बार की जा चुकी हैं, परंतु अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। यही कारण है कि अब मामला खुलकर सामने आया है और मरीजों को उपचार नहीं मिल पाने की नौबत आ गई।
"दोनों को समझाइश दी गई है" — CBMO मनी सारस्वत
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CBMO) मनी सारस्वत ने बताया कि उन्हें प्रभारी डॉक्टर महेश पांडे का पत्र मिला है और इस विषय पर दोनों पक्षों से चर्चा कर समझाइश दी गई है। हालांकि, इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि क्या किसी विभागीय जांच या अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से सवाल
सरकार आम जनता के स्वास्थ्य के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन जब अस्पतालों में आपसी विवादों के चलते मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता, तो यह न केवल सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि ज़मीनी हकीकत भी उजागर करता है।
मरीजों से अभद्रता और स्टाफ में आपसी मनमुटाव की कीमत आम जनता क्यों चुकाए?
क्या ऐसे कर्मचारियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
क्या जिला स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है कि वह समय रहते विवादों का समाधान कर मरीजों की सेवा सुनिश्चित करे?
क्यों अब तक कोई विभागीय जांच या स्थानांतरण नहीं हुआ?
समाज का सवाल: स्वास्थ्य सेवा है या उपेक्षा का केंद्र?
इस तरह के मामले सिर्फ लाड़कुई तक सीमित नहीं हैं। भेरुन्दा सिविल अस्पतालों से भी अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहती हैं कि डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते, स्टाफ का रवैया खराब होता है और मरीजों को इलाज में देरी होती है। जब तक इन मामलों में सख्ती से कार्यवाही नहीं होगी, तब तक आम लोगों का विश्वास सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से उठता रहेगा।