अमेरिकी सरकार ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर कार्रवाई की थी। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने छात्र वीज़ा धारकों की पहचान करने और उनकी जांच करने के लिए 'कैच एंड रिवोक' कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसमें यहूदी-विरोधी या फिलिस्तीनियों और हमास के समर्थन के सबूतों के लिए उनके सोशल मीडिया पर निगरानी रखना भी शामिल था।

इस कार्रवाई के बाद बहुत सारे अंतरराष्ट्रीय छात्रों का वीजा रद किया गया है और इसमें सबसे ज्यादा भारतीय छात्र शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, संगठन द्वारा हाल ही में एकत्र किए गए 327 वीजा निरस्तीकरणों में से आधे भारतीय छात्रों के हैं।

50 प्रतिशत छात्र हैं भारतीय
रिपोर्ट, जिसका टाइटल है 'अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के खिलाफ आव्रजन प्रवर्तन कार्रवाई का दायरा', इसमें बताया गया है कि वीजा रद होने वाले छात्रों की लिस्ट में 50 प्रतिशत छात्र भारत से थे, जबकि 14 प्रतिशत चीन से थे। डेटा में अन्य देशों में दक्षिण कोरिया, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग और आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) पिछले चार महीनों से विदेशी छात्रों के डेटा जिसमें उनकी सक्रियता भी शामिल है उसकी जांच कर रहे हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि यह जांच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके की जाती है, जिसके कारण बिना किसी आपराधिक इतिहास वाले या कैम्पस विरोध प्रदर्शनों से जुड़े छात्रों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा सकता है।

स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इनफोर्मेशन सिस्टम (SEVIS) एक पोर्टल है जिसका उपयोग अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और विनिमय कार्यक्रम आगंतुकों पर नज़र रखने के लिए किया जाता है।

F-1 वीजा वाले छात्र हो रहे शिकार
रिपोर्ट के अनुसार, एसईवीआईएस प्रणाली में 4,736 अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वीजा स्थिति समाप्त कर दी गई, जिनमें से अधिकांश के पास F-1 वीजा था। एआईएलए ने इन प्रशासनिक कार्रवाइयों को अभूतपूर्व बताया, जिससे कई कानूनी सवाल उठे हैं जिनके लिए मुकदमेबाजी की आवश्यकता हो सकती है।

इन वीज़ा निरस्तीकरणों का प्रभाव महत्वपूर्ण है, 327 मामलों में से 50 प्रतिशत वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) धारकों के हैं। OPT F-1 वीज़ा पर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को 12 महीने तक अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है।

इन अमेरिकी राज्य हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
वीजा रद होने के कारण ये छात्र अब काम करने में असमर्थ हैं। वीजा रद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिकी स्टेट टेक्सास, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, मिशिगन और एरिजोना हैं।

हालांकि, विश्वविद्यालय के बयानों और स्कूल अधिकारियों के साथ बातचीत के अनुसार, मार्च के अंत से अब तक अमेरिकी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और विश्वविद्यालय प्रणालियों में लगभग एक हजार अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद कर दिए गए हैं या उनकी कानूनी स्थिति समाप्त कर दी गई है।

अपना कानूनी दर्जा खोने वाले बहुत से छात्र भारत और चीन से हैं, जो अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से आधे से ज़्यादा हैं। लेकिन वकीलों ने कहा कि छात्रों की बर्खास्तगी सिर्फ़ दुनिया के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं है।

भारत सरकार ने कहा- कर रहे हैं जांच
भारत सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमें पता है कि कई भारतीय छात्रों को उनके एफ-1 वीजा स्टेटस के बारे में अमेरिकी सरकार से संदेश मिला है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। हमारा दूतावास और वाणिज्य दूतावास छात्रों के संपर्क में हैं।"