सिंगाजी समाचार
राजेश पंवार


भैरूंदा।मामला भेरूंदा अंतर्गत आने वाले ग्रामों से है जो नर्मदा घाट से लगे हुए है जहां पर रेत के बड़े-बड़े पहाड़  रेत कंपनी द्वारा बनाए गए हैं। जो गांव से लेकर नर्मदा घाटों तक सड़कों के दोनों तरफ लगे हुए हैं क्या शासन प्रशासन द्वारा इन रेत कंपनियों को इतना भंडारण करने की अनुमति दी गई है या रेत कंपनी द्वारा अवैध रूप से रेत का भंडारण किया गया है। क्या रेत परिवहन के लिए जिन मार्गो का उपयोग हो रहा है वो मार्ग इतने टन पासिंग है और नहीं तो कोई कार्यवाही क्यों नहीं। ग्रामीण सड़को को रेत के डम्फरो द्वारा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया है जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी होती है और शासन को करोड़ों का चूना लगता है
साथ ही गाड़ी मालिकों को रेत कंपनी द्वारा दी जा रही फर्जी रॉयल्टी।आपको बता दे की सीहोर जिले में लोड होने वाली गाड़ियों को रॉयल्टी अलग अलग जिलों की दी जा रही और शासन की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। रेत माफियाओं द्वारा खुले आम एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और प्रशासन मौन है।मीडिया के माध्यम से बार-बार शासन प्रशासन को अवगत कराने पर भी शासन प्रशासन या जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाही इन रेत ठेकेदारों पर क्यों नहीं कर पाते। इस तरह के रवैए को देखते हुए लगता है कहीं ना कहीं रेत माफियाओं को शासन प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है तभी तो इतने बेखौफ होकर अवैध परिवहन और उत्खनन कर रहे हैं।

 

न्यूज़ सोर्स : संवाददाता